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शहर में साँप / 42 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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जत्ती चिक्कन
ओत्ती विषधर/ऊ आदमी
शहर में छै कुछ खास
साँप पर कैर लिहैं
ओकरा पर
कहियो नै करिहें विश्वास।
अनुवाद:
जितने चिकने
उतने विषैले/वह आदमी
शहर में है कुछ खास
साँप पर कर लेना
उस पर
कभी न करना विश्वास