भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शहर में साँप / 43 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
Kavita Kosh से
शहर में
चुपके घूस ऐलै साँप
बैठल छै गुडुली मारकेॅ
डंसे लेॅ छै तैयार
अनुवाद:
शहर में
चुपके घुस आया है साँप
बैठा है/गेडुली मारकर
डंसने को है तैयार