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शहर में साँप / 8 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

साँप के डँसल
बैच सकै छै आदमी
आदमी केॅ काटल
नै बैच सकै छै साँप।

अनुवाद:

साँप के डँसे
बच सकता है आदमी
आदमी के काटे
नहीं बच सकता है साँप