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शहर / नवल शुक्ल

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यह शहर
हमारा शहर है

बिल्कुल अपना
अपनी गाय की तरह
बिसुका हुआ।

अपने बैलों की तरह
जख़्मी कंधों वाला।

बुज़ुर्गों की तरह
तहदार।

बाप की तरह
बेतरह बच्चों वाला।

माँ की तरह
आस पर उपास
संगति की तलाश में।