भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शहीदों का दर्द / अलका वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मै मारा तो गया
किन्तु लडते हुए मारा जाता
 तो अलग बात थी।
जान तो देश के नाम थी
गोली सीने में लगती
 तो अलग बात थी।
मुझे मारने वाले कमीनो
दो दो हाथ कर मरते
 तो अलग बात थी।
अफसोस नहीं मरने का
समर भूमि में मरता
 तो अलग बात थी।
कमीनो ने कायरता दिखाई
दस को मार कर मरता
 तो अलग बात थी।
आँखों में बदला सीने में उबाल
 मुंड-मुंड काटकर मरता
 तो अलग बात थी।
हमारी सारी ट्रेनिंग बेकार गई
काबलियत दिखाटर मरता
 तो अलग बात थी।
हे माते! मैं शहीद तो हुआ
किन्तु पाक को नापाक कर मरता
 तो अलग बात थी।