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शहीदों का संदेश / प्रेमी
Kavita Kosh से
दिन ख़ून के हमारे प्यारे न भूल जाना,
ख़ुशियों में अपनी हम पर आंसू बहाते जाना।
सैयाद ने हमारे चुन-चुन के फूल तोड़े,
वीरान इस चमन में अब गुल खिलाते जाना।
गोली को खा के सोए जलियान बाग में हम,
सूनी पड़ी क़बर पर दीपक जलाते जाना।
हिंदू व मुस्लिमों की होती है आज होली,
बहते हमारे रंग में दामन भिगोते जाना।
कुछ क़ैद में पड़े हैं, कुछ क़ब्र में पड़े हैं,
दो बूंद आंसू इन पर ‘प्रेमी’ बहाते जाना।
रचनाकाल: सन 1930