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शहीदों को नमन / प्रेमलता त्रिपाठी

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शांत नहीं अब शोणित होगा,संग हमारे होगा काल ।
छलनी करना सीना अरि का,ध्वस्त मनोबल हो हर हाल ।

शब्द शब्द कवि चंद सरीखे,जोश होश है लेना खींच,
शत्रु विनाश संकल्प हमारा,अरि का करना क्रिया कपाल ।

आत्मघात का खेल खेलते,छीन रहे रातों की नींद,
नींद न अरि को लेने देंगे,जाग चुके हैं अपने लाल ।

माँ बहनों से कहना है यह,आँखों के आँसू लो पोंछ,
नहीं बुझा है दीप तुम्हारा,जला गये हर हृदय मशाल ।

अधरों को दे गये हमारे,प्यारा सुंदर है जय घोष,
हृदय तरंगित हाथ तिरंगा,नहीं झुकेगा अपना भाल ।

रक्त रक्त है उबल रहा अब,फूट पड़ा मन का आक्रोश,
लिपट तिरंगे में तुमने जो,उठा दिया अतिरेक सवाल ।

घाव हृदय का सदा जगाकर,लेना होगा हमें जवाब,
आँसू की हर बूँद अथेली,प्रेम धरेगी सदा सँभाल ।