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शांति सुख आनन्द का फिर गीत गाना चाहिये / रंजना वर्मा

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शांति सुख आनंद का फिर गीत गाना चाहिए.
प्यार में डूबा हुआ मौसम सुहाना चाहिए॥

जो किया हमने प्रकृति के साथ में खिलवाड़ हैं
सब भुला परिवेश फिर वह ही पुराना चाहिए॥

धूल मिट्टी फूल पत्थर को सतत सम्मान दें
पत्थरों से आस्था का घर सजाना चाहिए॥

फिर प्रतिष्ठा देवताओं की करें हम वृक्ष में
नीर नदियों का पुनः पावन बनाना चाहिए॥

है हवा पानी दिया जिसने मिटायी भूख भी
इस धरा का कर्ज भी हमको चुकाना चाहिए॥

देखना खंजर न कोई भोंक दे फिर पीठ में
खो रहे विश्वास को फिर से जगाना चाहिए॥

घुट न जाये साँस इन दूषित हवाओं में कहीं
शुद्ध हो पर्यावरण वह जग बनाना चाहिए॥