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शान देख कै राज कंवर की सीली काया होगी / मेहर सिंह

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वार्ता- दोनों दोस्त राजकुमारी के महल में दोबारा पहुंच जाते हैं और राजकुमारी से मिलते हैं तथा उसकी मन स्थिति क कवि किस प्रकार से वर्णन करता है।

देख सामने पदमावत गौरी ईश्क नींद मैं सोगी
शान देख कै राज कंवर की सीली काया होगी।टेक

सुथरी श्यान गाबरु छोरा आग्या मेरी नजर मैं
रूप ईसा खिल र्या सै जणुं चढ़ र्या भान शिखर मैं
मन मोह लिया मेरा लड़के नै होगें छेक जिगर मैं
थर थर लाग्या गात कांपने और होगी घणे फिकर मैं
तन की सुध बुध भूल गई जणंु कई जन्म की रोगी।

इसे मर्द तै मेल करुं मेरी होज्या सफल जवानी
यो भरे खेत की दूब हरी मैं फूंस पटेरा सानी
काढ़े तै भी ना लिकड़ै हुई इसके बस मैं प्रानी
यो मजनूं होया मेरै लेखै मैं लैला बणी दिवानी
भोली भाली श्यान जलै की मनै दीन दूनी तै खोगी।

ईसा रूप ना दई देवता और मनुष्य फक्कर मैं
मैं हिरनी फंसगी सादी भोली ईश्क जाल चक्कर मैं
सामण मैं मेरा जी करया यो घी घल्या शक्कर मैं
आज मिल्या भरतार मनै मेरी जोड़ी की टक्कर मैं
कर कै दर्श पति प्यारे के वा दाग जिगर के धोगी।

कह मेहर सिंह फेर पदमावत नै एक इशारा आया
एक फूल तोड़ कै फूलवाड़ी तै फेर कानां सेती लाया
फेर चूम कै ला छाती कै वो पायां तलै दबाया
फेर दातां तै चबा कै उसनै सिर उपर कै बगाया
डोरी दिखा शिशा चमका कै वा बीज प्रेम का बोगी।