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शाम रंगीन हुई है तेरे आँचल की तरह / रविन्द्र जैन
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शाम रंगीन हुई है तेरे आँचल की तरह
सुर्मई रंग सजा है तेरे काजल की तरह
पास हो तुम मेरे दिल के मेरे आँचल की तरह
मेरी आँखों में बसे हो मेरे काजल की तरह
मेरी हस्ती पे कभी यूँ कोई छाया ही न था
तेरे नज़्दीक मैं पहले कभी आया ही न था
मैं हूँ धरती की तरह तुम किसी बादल की तरह
सुर्मई रँग सजा है तेरे काजल की तरह
आस्मान है मेरे अर्मानों के दर्पन जैसे
दिल यूँ धड़के कि लगे बज उठे कँगन जैसे
मस्त हैं आज हवाएं किसी पायल कि तरह
सुर्मई रँग सजा है तेरे काजल की तरह
ऐसी रँगीन मुलाक़ात का मतलब क्या है
इन छलकते हुए जज़्बात का मतलब क्या है
आज हर दर्द भुला दो किसी पागल की तरह
सुर्मई रंग सजा है तेरे काजल की तरह