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शाम होते ही उतरते पार्क में बच्चे / उर्मिल सत्यभूषण
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शाम होते ही उतरते पार्क में बच्चे
खेलते बच्चे, रपटते पार्क में बच्चे
राह तकतीं क्यारियाँ, पगडंडियाँ, झूले
झूम उठते, जब धमकते पार्क में बच्चे
मम्मियाँ निश्चित होकर लीन गपशप में
रेशमी मिट्टी मसलते पार्क में बच्चे
अपने अपने अजनबी सब बंद कमरों में
खींच लाते एक करते पार्क में बच्चे
यंत्रयुग की यंत्रणा से यह बचालेंगे
उर्मिला में आस भरते पार्क में बच्चे।