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शायद कोई आने को है! / ऋषभ देव शर्मा
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हर धड़कन रूक जाने को है
शायद कोई आने को है
वही पुरानी एक कहानी
मेरे पास सुनाने को है
मेरा मैं उसकी राहों में
वह मुझको ठुकराने को है
पल-पल पलकें मुँदी जा रहीं
घोर अंधेरा छाने को है
एक साँस साँसों में भर लो
यह गुलाब मुरझाने को है