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शायरी मेरी सहेली की तरह / वर्षा सिंह
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शायरी मेरी सहेली की तरह ।
मेंहदी वाली हथेली की तरह ।
हर्फ़ की परतों में खुलती जा रही
ज़िन्दगी जो थी पहेली की तरह ।
मेरे सिरहाने में तक़िया ख़्वाब का
नींद आती है नवेली की तरह ।
आग की सतरें पिघल कर साँस में
फिर महकती है चमेली की तरह ।
ये मेरा दीवान ‘वर्षा’-धूप का
रोशनी की इक हवेली की तरह ।