शायरों का है ये मेला
है नहीं कोई अकेला।
हर तरफ़ ग़ज़लें हैं छायीं
आ गयीं खुशियों की बेला।
हम तो दिल्ली आ गये हैं
छोड़कर घर का झमेला।
दुश्मनों ने दोस्ती कीं
आपने क्या खेल खेला।
होगी बच्चों की हिफाजत
खत्म होते ही रुबेला।
शायरों का है ये मेला
है नहीं कोई अकेला।
हर तरफ़ ग़ज़लें हैं छायीं
आ गयीं खुशियों की बेला।
हम तो दिल्ली आ गये हैं
छोड़कर घर का झमेला।
दुश्मनों ने दोस्ती कीं
आपने क्या खेल खेला।
होगी बच्चों की हिफाजत
खत्म होते ही रुबेला।