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शारदे नमन करो स्वीकार / रंजना वर्मा
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शारदे नमन करो स्वीकार।
दूर से चल कर आयी द्वार॥
भरो मेरी कविता में शक्ति
तुम्हारा होगा अति उपकार॥
मिला जब है करुणा का बिंदु
गा रहे हैं कवि गीत मल्हार॥
सुना दो वीणा के सुर आज
आर्त्त जन करने लगे पुकार॥
शारदे माँ वह उज्ज्वल रूप
सजाया है अनुपम सिंगार॥
जगी है मन में अभिनव भक्ति
करो अब सर्जन शक्ति संचार॥
गा रहे जगह-जगह कवि वृंद
मात की महिमा अपरंपार॥