शाश्वत मूल्य / विनीत मोहन औदिच्य
राष्ट्र पर अभिमान करना,राष्ट्र ने बलिदान होना ही सिखाया
देश भारत है हमारा, रक्त से अपने इसे हमने बनाया
चांद सूरज आसमां पर, रास्तों पर फूल कलियाँ मुस्कराते
स्वेद से सिंचती धरा जब, खेत हरियाली भरे हैं लहलहाते।
राधिका का रूप पावन,तुम निरख कर बोध अपना खो न देना
कामना की आँधियों में, उड़ न जाना आसुँओं को मोल लेना
सब नदी पावन यहाँ की, पुण्य दायक बह रही गंगा सुहानी
मेदिनी है शृंखला- सी और बीहड़ रास्तों में है रवानी।
लोकप्रिय भाषा है हिन्दी, अन्य भाषाएं रहीं हैं पूज्य सबकी
मूल्य शाश्वत हैं हमारे, वेद रामायण रहें हैं आन जन की
श्लोक गीता के मनोहर,कृष्ण ने संदेश अर्जुन को दिया जो
मोहना के रंग मीरा , द्रव्य पीकर भक्ति में डूबी रही वो।
राम सीता कृष्ण राधा, शिव शिवा का नाम जग जपता रहेगा।
साधना में डूब गहरी, सत्य की शाश्वत कथा प्रतिपल कहेगा।।
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