भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शिकारी / अर्पण कुमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पहला
सूची बना देता है
उसकी जरूरतों की
दूसरा
बाजार से खरीद लाता है
स्वयं कभी दहलीज
पार नहीं किया उसने
मगर अब वह
अपनी शिकारी प्रवृत्ति पर
और परदा नहीं डाल सकता
........................

नई चिड़िया
इस गिद्ध को समझ चुकी है |