भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शिनाख़्त / कात्यायनी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जहाँ
निशान थे
दीवारों पर गोलियों के,
जीवन था।
हत्या जहाँ हुई थी
वहाँ था
सिर्फ़ सन्नाटा।
काफ़ी कुछ
उपजा करता है
सन्नाटे से।

रचनाकाल : सितम्बर, 1999