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शिवकाशी में पटाखे़ बनाने वाले बच्चे की कविता / कात्यायनी
Kavita Kosh से
बचपन में
बनवाते हो पटाख़े
और
नौजवानी में बम बनाने से
रोकते हो?
आज जीने के लिए
बनाते हैं पटाख़े
कल जीने के लिए
क्यों न बनाएँ बम?
आज
तुम्हारे मुनाफ़े की शर्त है
हमारा जीना,
लेकिन मत भूलना
कि हमारे जीने की शर्त है
तुम्हारे मुनाफ़े का ख़ात्मा।
रचनाकाल : जनवरी, 1996