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शिवा (गिदड़िनी) / अन्योक्तिका / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

वन वासिनि शव-वाहिनी, नगना मगन मसान
वलि पावह, कहबह शिवा केवल अशिव क ध्यान।।64।।

गधा-घोड़ा - ने सहीस, घसबाह ने, ने मुह हमर लगाम
भार उठाबी; तदपि हय पोसय! अद्भुत गाम!!65।।

वानर - कर पद नख मुख नर तुलित कल्प विकल्पित नाम
वानर! नरता कतय पुनि जा नहि थिरता धाम।।66।।

कोल्हु-बड़द - कत सिनेह चुअबय तदपि पेरि रहुल दिन-राति
तिल सरिसव सन कनहुकेँ कोल्हु-बड़द बद जाति।।67।।