Last modified on 31 जनवरी 2015, at 18:13

शिव ई बाना छोडू़ / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

शिव ई बाना छौडू औ!
बेचू बूढ़ वड़द, लय ट्रैक्टर, परती तोडू औ!

भारतमे गण-तन्त्र भेल अछि, बेटा अहिंक गणेश,
कार्त्तिकेय सेनापति छथिहे, अपने फोलू प्रेस,
देशसँ नाता जोड़ औ!

सक्रिय रहिकय राजनीतिमे, जन-सम्पर्क बढ़ाउ,
अपने भाषण खूब करू, जनताकेँ काज अढ़ाउ,
पुरनका धारा मोडू औ!

भूत-प्रेत वैताले ‘वोटर’, देत अहींकेँ वोट,
अस्सी नम्बर खद्धड़ पहिरू, फेकू फाड़ि लङोट,
भाङ चिन्नी सङ घोरू औ!

बसि कैलास कपै’ छी जाड़ेँ, तकर प्रयोजन कोन,
‘एयर कंडीशंड’ भवनमे, रहू लगाकय फोन,
ज्ञान-गुदरीकेँ गोड़ औ!

सुलभ मरकरी, व्यर्थ चन्द्रमा, छेकता तखनललाट,
‘अमर’ लोकपर धरिकरू शासन, बनथुभैर वेलाट,
असुरके भण्डा फोड़ औ!

रचना काल 1966 ई.