भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शिव जी हीरो बनोॅ हो-05 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ताल-दादरा

मैया कानें नै हमरोॅ सिंगार करी दे
मैया हंसि क’ विदाय ससुरार करी दे।।

डोलिया कहरिया के की छै जरूरत
बसहै पर हमरा सवार करी दे।।

डमरू डिमिक डिम बजाबै छै भोला
साथें तों डमरू दु चार करी दे।।

मिरगा के बाघोॅ के छाल तांेहें मैया
भोला ल’ जल्दी जोगाड़ करी दे।।

भांग के घोटना बनाय ले गे मैया
साथें तों एकटा कमार करी दे
गौरा के बात सुनी हसलै सदाशिव
‘लालोॅ- के मैया उद्धार करी दे।।

दादरा

आबी गेलै उमतहवा दुअरिया में
दुलहा के बूढोॅ बसहा सवरिया में।।

देखला संे कुछ तों फरक नहीं पइभ’
दुलहा में आरो भिखरिया में।।

दुलहा के देह साँसे राखोॅ सें भरलोॅ
सांप लपर्टल’ छै बहियाँ में।।

पदछै ल’ गेलै त’ सांप फुफुऐलै
भागी गेलै मैना कोठारिया में।।

हाथोॅ सें मैना के थार गिरी पड़लै
भरी भरी गेलै लोर आंखिया में।।

सोना हेनी धीया के है रंग जमैया
मैना कान’ लागलै देहरिया में।।

भूते परेत छुच्छोॅ दुलहा के साथी
मैना केना रहती झोपड़िया में।।