भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शिव जी हीरो बनोॅ हो-08 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कहरबा

कमरिया ल’ क’ हो जइबे बाबा के दुअरिया।।
अरजिया ल’ क’ हो ,, ,, ,, ,, ।।
बाबा के नगरिया जइबै भोला के दुअरिया
अरजिया ल’ क’ हो जइबै बाबा के दुअरिया
सावन में भोला बाबा भरि क’ पगरिया
नहबैभौं भोला बाबा भरि क’ गगरिया
नहबैभौं भोला हो लानी गंगा जी संे पनिया।।
बेलवा के गछिया चढ़ी तोड़ी तोड़ी पतिया
चढ़ैभौं भोला हो हम्में तोरा बेलपतिया।।
चुनी चुनी फुलवा के मलवा बनइबै
पिन्हैभौं भोला हो गूंथी वेलिया चमेलिया।।
भांगोॅ सें धथूरा आरो अच्छत चन्दन सें
रिझैभौं भोला हो हरि ल’ लालोॅ के विपतिया।

राग पीलू-ताल दादरा

डिमिक डिम डमरू बजावैछै भोला
बजावैछै भोला हो नाचैछै भोला।।
गावैछै गीत गौरी अति अन भोला।।
रिद्धि सिद्धि दोनों चंवर डोलावैछै
छन’ छन’ खायछै शिव भांगोॅ के गोला।।
माथां चनरमां छै जट्ठर मंे गंगा
गल्ला पें सांप संगे भूतोॅ के टोला।।
सौंसे देह राख आरौ डाड़ां बघम्बर
कान्धा पर भांग धथूरा के झोला।।
संकट कटैछै जी सब कुछ मिलैथै
सावन में जे जे जयैछें बंभोला।।
’लालोॅ’ के कष्ट हरोॅ शिव शंकर
करि द’ विमल हमरोॅ मन भोला।।