शिव जी हीरो बनोॅ हो-18 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'
ताल कहरवा
बाबू दरोगा जी कौनी कसूरी में सैयां गेलै धराय
हमरोॅ सैयां नैं चोरी करैछै नै तॅ डकैती में जाय
रात भर घरोॅ में सतुलोॅ रहैछै हमरा जी छाती लगाय
दिन भरी सैयां जोतै छै खेतवा थकी जायछै कोदरा चलाय
सांझे सें सैयां बोतल पिबी कॅ सूतैछै टांग उठाय
सैयां लॅ देबै अन धन सोनमां सब कुछ देबै बोहाय
बलमा लॅ देबै थारी रे उमिरिया पियवा कॅ लानबै छोड़ाय
झूमर
हमरी मौगी छै बड्डी लुआठ कारी
जेन्हैं देखलां कि होलोॅ कप्पार भारी
सोना के गेड़ुआ गंगा जल पानी
पीयॅ नै गेलां हजार गारी
चानी के थरिया में खाय लॅ जे देलकी
खाय लॅ नै गेलां हजार गारी
पांच ए पान पच बिरिया लगैलकी
पनवां नै खैलां हजार गारी
लाली पलंग पर सेजिया बिछैलकी
सूत नै गेलां हजार गारी
रातीं सूतॅ नै गेलां हजार गारी
हजार गारी जी हजार गारी
झूमर
चीनोॅ चोरी गेल मुकुन्द बूढ़ा सुतलोॅ
सुतला के सुतलोॅ जी सुतला के सुतलोॅ
बुढ़बा में बुढ़िया में गहना लॅ झगड़ा
मछरी के मुड़िया लॅ दोनों में रगड़ा
मुड़िया चोरी गेल मुकुन्द बूढ़ा सुतलोॅ
बुढ़बा में बुढ़िया में मेला लॅ कुश्ती
पाकेट में पैसा नै बुढ़वा कॅ सुस्ती
बुढ़िया भागी गेल मुकुन्द बूढ़ा सुतलोॅ
बुढ़िया कॅ लस्ती छै बुढ़बा कॅ मस्ती
बुढ़िया कॅ पस्ती छै बुढ़बा कॅ गश्ती
बुढ़िया विदा भेल मुकुन्द बूढ़ा सुतलोॅ