भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शिव जी हीरो बनोॅ हो-32 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिवाली के अवसर पर-दादरा

सिया संग राम लौटी कॅ घोॅर अइलै हे
दिया बाती संे जग मग नगर भेलै हे।।
रात अमावस के पूनम के राम भेलै हे
तभी सें जी दिवाली के शुरुआत भेलै हे।।
धूम धुमनोॅ के खुशबू शहर भर हे
खुशी बरसै छै नगरी में झर झर हे।।
चौंक कलसोॅ पुरहरोॅ घरे घर हे
रोशनी से चमाचम नगर भर हे।।
आबॅ दानव पर मानव के राज भेलै हे
आय सुखी सब सन्त समाज भेलै हे।।
आय अंधरिया के दुनियां सें अन्त भेलै हे
आय पुराय के जी जीन दिग-दिगन्त भेलै हे।।

होरी-दादरा

मत निकलोॅ अंचरवा उधार गोरिया
पीछूं लागी जइथौं गुडा हजार गोरिया।।
होरी में तोरोॅ जी कुच्छू नै सुनथौं
चूमी लेथौं घोघटोॅ उतार गोरिया।।
चढ़ती जवानी जी फागुन के महिना
छोड़ी दॅ तांे लेहाज गोरिया।।