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शिव जी हीरो बनोॅ हो-42 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'
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कव्वाली-भैरवी राग में
कानी कानी काटैछी जुल्मी उमिरिया
दिन केॅ नै चैन सखि रातीं नै निंदिया।
सालैछै हमरा हे सूनी सेजरिया
पिया बिन हमरोॅ हे दुनियां अंधरिया।।
अमुंआ मोंजरी गेलै सरसों फुलैलै
फगुआ में सब के बलम घरें अइले
सोतिन के संग सखि सैयां बिलमलै
भुली गेलै हमरा हे पिया परदेसिया।।
मारैछै ताना सासू ननदिया
अंटोॅ भिंसाड़ोॅ सें जर्जर देहिया
बितलै अकारथ बारी उमिरिया
आंखी सें बहतें रहैछै सखि नदियां।।
जब सें किसुन गेलै मथुरा नगरिया
कुबजा के बस भेलै रसिया संवरिया
भूली गेलै गैया बिसरि गेलै बछियश
हमरोॅ की बातोॅ तजि देलकै बंसुरिया।।