शिव जी हीरो बनोॅ हो-56 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'
कोभरोॅ
हम्में नहीं जइभौं सैयां तोरोॅ हे सेजरिया
सास ननद गोरथार हे संवरिया
आबी जा आबी जा धनी सुनोॅ हमरोॅ बतिया
आय छै सोहागोॅ के रात हमरी गोरिया
केनां हम्में जइभौं सैयां तोरोॅ हे सेजरिया
झनन करैछै झनकार हे पैजनियां
हम्में तौं दोनों जबेॅ कि एक छी सजनियां
गोड़ोॅ सें देॅ पैंजनी उतार हमरी गोरिया
केना हम्में जइभौं सैयां तोरोॅ हे सेजरिया
बारी रे उमिरिया हमार हे संवरिया
बारी रे उमर तोरोॅ जों छौं मोरी सजनी
हम्में कोन बुढ़बा भतार मोरी गोरिया
चल्ली आबोॅ सेजिया हमार मोरी गोरिया
आय तेॅ छै सोहागोॅ के रात मोरी गोरिया।।
कोभरोॅ
बन्ना बन्नी पर सब कुछ निसार करि देॅ
आय जी भरी के दुलहिन सें प्यार करि लेॅ
बहार-) हुस्न की सौगात आज आई है
कैफ-) अरमान की बारात आज आई है
तमाम इश्क-) मोहब्बत की संजोये दिल में
जहान भर की खुशी ले के रात आई है
बन्ना दुलहिन केॅ मोतियन के हार देॅ देॅ
आय जी भरी केॅ दुलहिन सें प्यार करी लेॅ
देख दुलहिन की छटा जाती बिजली लजा
घटा में चांदनी भी, लेती है मुंह को छिपा
बन्ना दुलहिन केॅ गहना हजार देॅ देॅ
आय रचि रचि केॅ हुनकोॅ सिंगार करी देॅ।।