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शिव जी हीरो बनोॅ हो-62 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'

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गारी

मंडवा में गारी सुनि हँसि हँसि खाय
हँसि हँसि खय अजी चारो जमाय आय
बाप थकी गेल्हौं करी सभ्भे उपाय
खीर खाय गाभिन होल्हौं तोरोॅ तीनों माय
सुरुजबंसी रघुवंसी की छोॅ कहाय
बंसोॅ के देॅ तों ठिकानोॅ बताय
पुरखा दिलीप तोरोॅ जंगलोॅ में जाय
बेटा लेलोॅ हुनी छेलात गैया चराय
गोरोॅ राजा दशरथ गोरी तोरी माय
तोंहें कैन्हेॅ करिया भेल्हेॅ बात की छै भय
ब्रह्मण तेॅ जाती में छै ऊंचोॅ कहाय
अहिल्या बाभिन केॅ कैन्हेॅ देल्हॅे लतियाय
तोरोॅ बाप दशरथ जी बड़ी रे हरजाय
पीढ़ा पर बैठी बैठी कैनखी चलाय