शिव जी हीरो बनोॅ हो-65 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'
समदन
बन्ना बन्नी सम्हारी केॅ ले जइहोॅ जी
हमरी लाड़ो
रानी बिटिया छै हमरी जी चम्पा कली
डोलिया केॅ छैयां छैयां लेॅ जइहोॅ जी
बड़ी नाजुक छै बिटिया कुसुम के कली
हमरी लाड़ो केॅ छतिया लगाय लीहोॅ जी
डोलिया धीरें धीरें तों उठवैहोॅ जी
बन्नी डरगू ही छै नै तेॅ डरी जइतै जी
बन्ना जाना छौं तोरा बहुत दूर जी
रस्ता पैड़ा में कुछ तों खिलाय दीहोॅ जी
बन्नी दीया के बतियो नै टारै छेलै
बन्ना बन्नी सें तों कुछ नै कर बैहोॅ जी
समदन
बाबा के पियारी गे बेटी मैया के दुलरिया
सूनोॅ करी चलल्हेॅ हे बेटी बाबा के नगरिया
सूनोॅ भेलै देहरी दुअरिया महल अटरिया
सूनोॅ रे भेलै बाबा के बगिया रस्ता पैड़ा गलिया
बाबा रोवये मैया रोवये रोवये सगरी नगरयिा
बहियां धरी भइया रे रोवये चलली बहिनियां
बाट के बटोही रे रोवये ढोलिया बजनिया
संगे संगे सभ्भे रोवये साज शहनइया
हहरो गेलै सूगा रे मैना गैया आरो बछिया
हहरी गेलै बगिया के कारी रे कोइलिया
भूली गेलै दाना पानी सूगा मैना बछिया
भूली गेलै कूहू रे कूहू बोलैलेॅ कोइलिया
कौने कहतै हमरा गे बेटी ॅॅपापा पीयो चहियाॅॅ
कौने हमरोॅ खींची रे देतै गमछा आरो धोतिया
कौने लानी देतै गे बेटी पापा केॅ कमिजिया
कौने हमरोॅ सीबी देतै फटलोॅ सब धोतिया
पापा के पियारी गे बेटी भइया के दुलरिया
सूनोॅ करी तोंहें हे बेटी चलली ससुररिया