शिव जी हीरो बनोॅ हो-66 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'
मिललोॅ जुललोॅ गीत
बारात आगमन दादरा
गली धुम मचाय केॅ अइह.।।
नगर में बजना बजाय केॅ अइहोॅ।।
बलमुजी हो तोरोॅ नैना शराबी शराबी
नयन में कजरा लगाय केॅ अइह.।।
बलमुजी हो तोरोॅ दांत अनारोॅ के दाना
तों रचि रचि पनमां चिबाय केॅ अइह.।।
बलमुजी हो तोरोॅ बगिया में बेलिया चमेलिया
गल्ला में गजरा लगाय केॅ अइहोॅ।।
बलमुजी हो सौतिनियां के लट घुंघराला
तों कहीं मन लट में उलझि केॅ रहिहोॅ।।
बारात आगमन-दादरा
बरात अइलै नैना जुड़ाबोॅ सखिया।।
दूलहा अइलै नैना जुड़ाबोॅ सखिया।।
राम भरत जी के श्याम बरन तन
माथा पर सोहे सुन्दर मौरिया।।
गोरे गोरोॅ सखि लखन शत्रुहन
बड़ी रतनारी शराबी अंखिया।।
चीरा पीताम्बर सें सोभित तन
मौरी में सोहे मोती के लरिया।।
राजा दशरथ के चारो ललन के
कहलोॅ न जाय अनुपम छबिया।
कभियों नै एन्ह बरात बर देखलां
जनम सुफल देखी भेलै सखिया।।