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शिव महिमा / शिवदीन राम जोशी

जटा जूट वारे, गल मुण्ड माल धारे,
            लिपटे सर्प कारे, जाके नंदिगण दुवारे हैं |
ऋषि मुनि संतन के, सदा शिव सहायक सत्य,
          गणपति से ज्ञानी और गिरिजा के प्यारे हैं |
दानी हैं दयाल हैं,दाता वे विधाता हैं,
          भक्तन की त्रिविधताप दुःख सकल टारे हैं |
कहता शिवदीनराम,राम नाम शिव-शिव रट,
              कछु नाहीं भेद वेद चार यूँ उचारे हैं |