मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
शिव हेरब तोर बटिया कतेक दिनमा
मृत्तिका के कोड़ि-कोड़ि बनायल महादेव,
सुख के कारण शिव पूजत महेश, कतेक दिनमा
तोड़ल मे बेलपत्र, सेहो सूखि गेल
जिनका लेल तोड़ल, सेहो रूसि गेल, कतेक दिनमा
काशी में ताकल, ताकल प्रयाग
ओतहि सुनल शिव गेला कैलाश, कतेक दिनमा
सबहक बेर शिव लिखि पढ़ि देल
हमरहि बेर कलम टुटि गेल हे, कतेक दिनमा
भनहि विद्यापति सुनू हे महेश
दरिद्रहरण करू मेटत कलेश, कतेक दिनमा
शिव हेरब तोर बटिया, कतेक दिनमा