Last modified on 30 मार्च 2021, at 23:35

शिशिर ऋतु करै कमाल / मुकेश कुमार यादव

शिशिर ऋतु करै कमाल।
ठुठ्ठो बुच्चो डाल-डाल।
पगडंडी पर पीपल ठूठ।
महुआ आम गेलै रुठ।
झूट-मूट बांस दै छै ताल।
शिशिर ऋतु करै कमाल।
कौवा-मैना पंख पसारै।
जरलो घर लगै निहारै।
तिनका-तिनका गेलै छितराय।
नीड़ आसरा दोनों उड़ाय।
जीना करै छै जपाल।
शिशिर ऋतु करै कमाल।
वन-उपवन लगै करै तैयारी।
वस्त्र पुराना सब दै उतारी।
फूल-पत्ता बारी-बारी।
रूप निखारी।
दुनिया सारी।
लागै छै करतै धमाल।
शिशिर ऋतु करै कमाल।
ओस कुहासा।
आपनो आशा।
छोड़े लागलै जीयै के आशा।
सूरज के धूप करै निहाल।
शिशिर ऋतु करै कमाल।