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शिशिर ऋतु संग आना-जाना / मुकेश कुमार यादव

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शिशिर ऋतु संग आना-जाना।
सखी सजन करै छै मनमाना।
सुबह शाम दोनों वेला।
माघ मेघ करै छै खेला।
ध्यान धरै छै ऋषि-मुनी।
नरम धूप में गुनी-गुनी।
पूछै पता ठिकाना।
शिशिर ऋतु संग आना-जाना।
हमरो मन गेलै बिसराय।
गेलै सुधी-बुधी बिसराय।
आपनो बनाय।
दिल में बसाय।
दुश्मन लगै जमाना।
शिशिर ऋतु संग आना-जाना।
पंख पसारी चिड़ियाँ सारी।
राह निहारी बारी-बारी।
डाली-डाली चहकी-चहकी।
बात करै छै बहकी-बहकी।
कूद-फांद-नाच-गाना।
शिशिर ऋतु संग आना-जाना।