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शिशिर सताबे लागै / मुकेश कुमार यादव

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शिशिर सताबे लागै, ऐंगना बुलाबे लागै।
दिल में समाबे लागै, दूर देश जाय छै॥

कली खिल जाबे लागै, मधुवन गाबे लागै।
फूल के सताबे लागै, अली खली जाय छै॥

नयना जुड़ाबे लागे, अरमां पुराबे लागै।
घड़ी ई आनंदे लागै, खुशियाँ मनाय छै॥

शिशिर जे गाबे लागै, गीत भी सुनाबे लागै।
प्रीत के जगाबे लागै, दिन ई सोहाय छै॥

मन में उमंग लागै, तन में उमंग लागै।
उमंग-उमंग लागै, हँसी-हँसी गाय छै॥