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शिशुओं के लिए पाँच कविताएँ-1 / बालकवि बैरागी

1.

तितली करती ताथा थैया,
भँवरा करता गुन गुन गुन ।
खिलकर हँसते फूल हमेशा,
कलियाँ कहतीं हमे न चुन ।।

2.

जब से हम स्कूल गए हैं,
खेल-कूद सब भूल गए हैं ।
सब कहते हैं- पढ़ो-पढ़ो,
एक हिमालय रोज़ चढ़ो ।।

3.
माली वो जो जड़ को सींचे
हर डाली को प्यार करे ।
कली-कली को फूल बनाए,
ख़ुशबू का सत्कार करे ।।

4.

पेड़ हमें देते हैं फल,
पौधे देते हमको फूल ।
मम्मी हमको बस्ता देकर
कहती है जाओ स्कूल ।।

5.

कोयल कुहू-कुहू कर गाती
मीठे सुर में गाती मैना ।
काँव-काँव करते कौवे को
मौसम से क्या लेना-देना ?