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शीतोॅ में नहैलोॅ एक कमलोॅ के कलिका कि / अनिल शंकर झा
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शीतोॅ में नहैलोॅ एक कमलोॅ के कलिका कि
शरदोॅ के आसमां के नीलिमा अथाह छै।
जोग तप साधना आ वेद या वेदान्त सब
झूठ माया एक सत्य एकरै गवाह छै।
गुमसुम सपना में डुबलोॅ ई अखिया की
झील याकि चील याकि झीलनी के डाह छै।
तान बांसुरी के याकि बीण के मदिर बंद
याकि कविता के छंद कामिनी के चाह छै॥