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शीत लहर / सुधा गुप्ता
Kavita Kosh से
1
शीत लहर:
कोहासे का क़हर
प्राण हरती
हवा है विषकन्या
हेमन्त चक्रवर्ती !
-0-
ख़बर
2
नदिया जमी
बाबुल की खबर
नहीं जो मिली !
मन ही मन रोती,
दुनिया कहे सोती ।
3
शीत की मारी
ठिठुरी हैं ख़बरें
छतें वीरान
मासूम बेज़बान
कमरों में क़ैद हैं ।
4
शीत - ठिठुरी
ख़बरें हैं बेचारी
ओस में भीगी
लावारिस पड़ी हैं
बन्द दरवाज़े पे !
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सर्वहारा
5
घिरी जो घटा
सूरज डर, छिपा,
झुग्गी का बच्चा
शीत से बड़ा रोया
धूप का कोट खोया ।
6
आ जमा हुए
बुझी भट्टी के पास,
ताप की आस-
बेघर, लावारिस
आदमी और कुत्ते ।
7
रैन- बसेरा
न अलाव –सहारा
रात बिताई
माघ- नभ के तले
तय था मर जाना ।
8
दीन सूरज
मार खा तुषार की
दूर जा छिपा
ठिठुरे खड़े दिन
भीगे कपड़े –लत्ते !
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