शीर्षकहीन कविताएँ / कात्यायनी
1.
चार वर्षों से
कोशिश कर रही हूँ
नाकाम
लिखने की
एक प्रेम कविता .
ईश्वर तो होता नहीं,
हे लोगो ! तुम्ही बताओ
मैं क्या करूँ?
2.
चार वर्षों से
चाह रही हूँ
भावुक होना
कुछ देर के लिए...
समय नहीं मिलता.
पर प्रेम की एक कविता
लिखने के लिए
ज़रूरत नहीं भावुक होने की
जैसे कि भावुक हुए बिना
करते हैं आज प्रेम।
3.
वे
हमें
हमारे वज़ूद की
याद दिलाते हैं .
अहसास कराते हैं .
एक वज़ूद वाली औरत को
प्यार करने का,
उस पर काबू पाने का
मज़ा ही कुछ और है।
4.
शक के पहरे हलके पड़े
और वफ़ादार हो गई स्त्री
प्यार का स्वाद भूलते हुए
प्यार नमक नहीं हो पाया था
उसके लिए
न लड़ना ही
जीने की ज़रूरी खुराक।
5.
एक अँधेरी भीड़
उसके आसपास फुँकार रही थी।
विश्वासघात किया था
उस स्त्री ने।
पूरा विश्वास किया गया था
उसी स्त्री पर
जिसे तोड़कर उसने
ख़ुद को विश्वास दिलाया था
कि वह जीवित है।
अब वह निर्भीकता से खड़ी थी
मृत्यु के सामने।
6.
एक अन्धेरे समय में
हम सयाने हुए,
प्यार किया,
लड़ते रहे ताउम्र।
हालाँकि अन्धेरा फिर भी था
मगर हमारे जीने का
यही एक अन्दाज़ हो सकता था
फ़िक्र जब सिर्फ़ एक हो
कि दिल रोशन रहे।
7.
दो स्त्रियाँ थीं .
एक ने प्यार किया इसी देशकाल में
सच्ची-मुच्ची का .
वह इसी देशकाल की
होकर रही
दूसरी ने सोचा देशकाल के बारे में
प्यार न कर सकी
पर उसने लिखीं
दुनिया की सबसे अच्छी प्रेम कविताएँ।