भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शीर्षक विहीन / मरीने पित्रोस्यान / उदयन वाजपेयी
Kavita Kosh से
मेरा हृदय दुखी है
मुझे अपनी माँ
और मेरी अपनी याद आती है
जब मैं इतनी छोटी थी कि
मेरा सिर
हमारी खिड़की तक नहीं पहुँचता था
और मुझे याद है कि
जब मैं छोटी थी बिना किसी कारण
हमेशा उदास रहती थी
वह बिना कारण की उदासी थी
स्थायी और भारी
फिर मैं बड़ी हो गई
अब मेरा दुख स्थायी नहीं है
बीच बीच में
हर्ष के कुछ अन्तराल भी आते हैं
पर अब माँ कहीं भी
खोजे नहीं मिलती
वह स्थायी रूप से
जा चुकी है
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उदयन वाजपेयी