भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

द्वाभा के एकाकी प्रेमी / सुमित्रानंदन पंत

Kavita Kosh से
(शुक्र / सुमित्रानंदन पंत से पुनर्निर्देशित)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

द्वाभा के एकाकी प्रेमी,
नीरव दिगन्त के शब्द मौन,
रवि के जाते, स्थल पर आते
कहते तुम तम से चमक--कौन?
सन्ध्या के सोने के नभ पर
तुम उज्ज्वल हीरक सदृश जड़े,
उदयाचल पर दीखते प्रात
अंगूठे के बल हुए खड़े!
अब सूनी दिशि औ’ श्रान्त वायु,
कुम्हलाई पंकज-कली सृष्टि;
तुम डाल विश्व पर करुण-प्रभा
अविराम कर रहे प्रेम-वृष्टि!
ओ छोटे शशि, चाँदी के उडु!
जब जब फैले तम का विनाश,
तुम दिव्य-दूत से उतर शीघ्र
बरसाओ निज स्वर्गिक प्रकाश!

रचनाकाल: मई’१९३५