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शुभ संवाद / मिथिलेश कुमार राय

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कुछ शुभ संवाद मिले हैं अभी
ये चाहें तो थोडा खुश हो लें
पान खाये
पत्नी से हंस-हंस के बतियाये
दो टके का भंाग पीकर
भूले हुये कोई गीत गाये
टुन्न हो अपने मित्रों को बताये
कि बचवा की मैट्रिक की परीक्षा अच्छी गयी है
वह कहता है कि बहुत अच्छा रिजल्ट भी आयेगा
गैया ने बछिया दिया है
और कुतिया से चार महीने पहले जो दो पिल्ले हुये थे
अब वे बडे हो गये हैं
और कल रात वह अकेला नहीं गया था खेत पर
साथ साथ दोनों पिल्ले भी आग-आगे चल रहे थे
कुतिया दरबज्जे पर बैठी चैकीदारी कर रही थी

मगर सोचने पर ढेर सारे तारे जमा हो जाते हैं
आंखों के सामने
कि गेहूं में दाने ही नहीं आये इस बार
दो दिन पहले जो आंधी आई थी उसमें
सारे मकई के पौधे टूट गये
टिकोले झड गये
दो में से एक पेड उखड गये
महाजन रोज आता है दरबज्जे पर
कि गेंहूं तो हुआ नहीं
अब कैसे क्या करोगे जल्दी कर लो
बेकार में ब्याज बढाने से क्या फायदा
जानते ही हो कि बिटवा शहर में पढता है
हरेक महीने भेजना पडता है एक मोटी रकम
सुनो गाय को क्यों नहीं बेच लेते
वाजिब दाम लगाओगे तो मैं ही रख लूंगा
दूघ अब शुद्ध देता है कहां कोई

हे भगवान क्या मैट्रिक पास करके बचवा
पंजाब भाग जायेगा
बिटिया क्यों बढ रही है बांस की तरह जल्दी जल्दी
दूल्हे इतने महंगे क्यों हो रहे हैं