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शुरू हुआ है प्रणय का पुरश्चरण मित्रो / शिव ओम अम्बर
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शुरू हुआ है प्रणय का पुरश्चरण मित्रो,
चरण-चरण पे हटेंगे ये आवरण मित्रो।
तुम्हारे पास हों शास्त्रों के उद्धरण अगणित,
हमारे पास है सन्तों के श्रीचरण मित्रो।
किसी भी दिन हो अब लंका-दहन सुनिश्चित है,
कि गुल खिलायेगा सीता का अपहरण मित्रो।
किसी भी कर्म से होता नहीं विलिप्तवही,
जो बन गया है विधाता का उपकरण मित्रो।