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शून्य के साथ / राकेश रोहित

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शून्य के साथ रखा अंक
सुन्दर लगने लगता है
जैसे पांच की जगह पचास!

जैसे अपने हृदय का शून्य
सौंपता हूँ तुम्हें
और महसूसता हूँ विराट की उपस्थिति!

अपना शून्य लेकर
भटकता रहता हूँ इस निर्जन वन में

तुमसे मिलता हूँ
तो साकार हो जाता हूँ।