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शेख से रस्मो-राह कर देखें / कांतिमोहन 'सोज़'

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शेख से रस्मो-राह कर देखें ।
एक गूना गुनाह कर देखें ।।

मौत से जंग है चलो इसमें,
ज़िन्दगी को गवाह कर देखें ।

दिल के पुर्ज़े फ़ज़ा में बिखरे हैं,
अब इन्हें मिहरो-माह कर देखें ।

एक चाहत रहेगी इस दिल में,
वो कभी हमको चाह कर देखें ।

आह नाकारा हो चुकी साबित,
अब ये सोचा है वाह कर देखें ।

ज़िन्दगी दूसरों ने की बरबाद,
आक़बत खुद तबाह कर देखें ।

सोज़ दीवाने हैं आप,
आशिक़ी अब निबाह कर देखें ।।