शेरखान का जन्मदिन / सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'
जन्मदिन था शेर खान का
जंगल भर के प्राणी आए।
देने बधाई सबसे प्यारी
ख़ुशी खुशी वे हंसते आए॥
इक्कीस, बाईस, तेईस, चौबीस
बिल्ली चूहे दौड़ कर आए।
पच्चीस हाथी, घोड़े छब्बीस
छुक-छुक करती रेल से आए॥
सत्ताईस, अठाईस, उनतीस, तीस
पंछी सारे उड़ कर आए।
इकतीस, बत्तीस, तैंतीस, चौंतीस
चीते बाघ सब नाव से आए॥
पैंतीस, छत्तीस, सैंतीस, अड़तीस
कछुए सारे रेंग कर आए।
उनतालीस बंदर, भालू चालीस
टन-टन करती साइकिल से आए॥
इकतालीस, बयालीस, तैंतालीस, चौवालीस
हलवाई सब मिलकर आए।
पैंतालीस लड्डू, बर्फी छियालीस
बना-बना कर थाल सजाएँ॥
सैंतालीस, अड़तालीस, उनचास, पचास
गाना गाने भंवरे आए।
राखी और केक कटा जब
टिम-टिम करते तारे आए॥
गाजे-बाजे ख़ूब बजे तब
नाच दिखाते मोर भी आए।
देख कर खुशियाँ 'शेरू' बोला
बार-बार दिन ऐसा आए॥