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शेरों में घर स्यार ने, छाया क्या है फेर / गंगादास
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शेरों में घर स्यार ने, छाया क्या है फेर ।
पराक्रम बिन नाम से, हो नहीं सकता शेर ।।
हो नहीं सकता शेर, कभी शेरों में बसकर ।
सिंह अकेले रहें फिरें स्यारों के लश्कर ।।
गंगादास पनचास<ref>शेर</ref> नहीं रमते बेरों में ।
मुर्दे करें तलास स्यार बसकर शेरों में ।।
शब्दार्थ
<references/>