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शेर की कहानी / माया मृग
Kavita Kosh से
नाखून मत काटो !
सुनो,
मैं तुम्हें
उस शेर की कहानी सुनाता हूँ -
जिसके पंजे घिस गये थे,
और ....!
वह कहानी मुझे तब भी अच्छी नहीं लगी
आज भी नहीं लगती।
सुनो,
नाखून बढ़ने दो
मुझे उस कहानी का
अंत पसंद नहीं,
मैं तुम्हारे हाथों से
उस कहानी का
अंत
बदलवाना चाहता हूँ।