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शेर / सुनीता जैन
Kavita Kosh से
जितने-जितने हाथ मिले,
मिली न उतनी
झोली,
चौपाए या
दोपाए-
जब संग चले तो
चली दहाड़ के
टोली:
शेरों के मुँह
किसने धोए,
किसने हाँकी,
बोली!