भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शेर / सूर्यकुमार पांडेय
Kavita Kosh से
इतना बलशाली है, इससे
बड़े-बड़े हैं घबराते ।
जब दहाड़ता है जंगल में,
अच्छे-अच्छे डर जाते ।
सभी जानवर घबराते, यह
वन का राजा कहलाता ।
हम भी वीर बनें धरती पर,
शेर हमें यह सिखलाता ।